Khushwant singh biography in hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको खुशवंत सिंह की जीवनी – Khushwant Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

खुशवंत सिंह की जीवनी – Khushwant Singh Recapitulation Hindi

Khushwant Singh भारत के जाने – माने पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे।

उन्होने दिल्ली, लाहौर और फिर कैब्रिज से शिक्षा प्राप्त की। उन्होने लंदन से ही कानून की डिग्री हासिल की।

वे 1947 – 51 तक विदेश मंत्रालय में रहे।

1956 में उनका पहला उपन्यास ट्रेन टू पाकिस्तान आया। उन्होने कई पत्र – पत्रिकाओं का संपादन किया।

1980 – 86 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्हे पद्मविभूषण सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

जन्म

Khushwant Singh का जन्म 2 फरवरी 1915 में पंजाब के ‘हदाली’ नामक स्थान (अब पाकिस्तान में) पर हुआ था।

उनके पिता का नाम सोभा सिंह था। खुशवंत सिंह की शादी कवल मलिक के साथ हुई। उनके बेटे का नाम राहुल सिंह तथा उनकी बेटी का नाम माला है।

शिक्षा

खुशवंत सिंह ने मॉर्डन स्कूल से मैट्रिकुलेशन और सेंट स्टीफेंस से इंटरमीडिएट करने के बाद लाहौर गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक किया और कानून की पढ़ाई के लिए लंदन के किंग्स कॉलेज में दाखिला लिया।

1939 में एल.एल.बी.

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और ‘बाट एट लॉ’ करने के बाद वे दोबारा लाहौर लौटे और वहाँ हाईकोर्ट में वकालत करने लगे।

करियर

एक पत्रकार के रूप में भी खुशवंत सिंह जी ने अच्छा नाम अर्जित किया और पत्रकारिता में बहुत ख्याति अर्जित की। 1951 में वे आकाशवाणी से संबद्ध थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र ‘योजना’ का संपादन किया।

मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘इल्लस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया’ के और ‘न्यू डेल्ही’ के संपादक वे 1980 तक थे। 1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय ‘कॉलम’ लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है।

1947 से कुछ वर्षों तक खुशवंत सिंह जी ने भारत के विदेश मंत्रालय में विदेश सेवा के महत्त्वपूर्ण पदोपर कार्य किया। वर्ष 1980 से 1986 तक वे राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे।

उपन्यास – खुशवंत सिंह की जीवनी

  • ‘डेल्ही’
  • ‘ट्रेन टु पाकिस्तान’
  • ‘दि कंपनी ऑफ़ वूमन’

कहानी-संग्रह

दस प्रतिनिधि कहानियाँविष्णु का प्रतीककर्म, रेप
दादी माँनास्तिककाली चमेली
ब्रह्म-वाक्यसाहब की बीवीरसिया

ऐतिहासिक

  • मेरा भारत

    साक्षात्कार

  • मेरे साक्षात्कार

आत्मकथा

  • सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत।

पुरस्कार

  • 1974 में राष्ट्रपति ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ के अलंकरण से सम्मानित किया, जो अमृतसर के ‘स्वर्ण मंदिर’ में केन्द्र सरकार की कार्रवाई के विरोध में उन्होंने 1984 में लौटा दिया था।
  • 2000 में उनको ‘वर्ष का ईमानदार व्यक्ति’ सम्मान मिला था।
  • 2007 में इन्हें ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किया गया।
  • 2010 में उन्हे भारत के साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य अकादमी फेलोशिप पुरस्कार दिया गया था।
  • 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें अखिल भारतीय अल्पसंख्यक फोरम वार्षिक फैलोशिप का अवार्ड दिया गया था।

मृत्यु – खुशवंत सिंह की जीवनी

खुशवंत सिंह की 99 वर्ष की उम्र में 20 मार्च 2014 गुरुवार को उनकी मृत्यु हुई।

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